एक निर्णय और एक डॉलर के लगभग 7 रुपये हो गए थे।

1971 में जब श्रीमती इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थी, उन्होंने रुपये का अवमूल्यन करने का फैसला किया था। इस फैसले के अनुसार, उन्होंने 1 रुपये की नोटों को अमेरिकी डालर के समान बनाया था और उन्होंने भी यह निर्णय लिया था कि भारत में विदेशी मुद्राओं का उपयोग रोका जाएगा। इस निर्णय के फलस्वरूप, रुपये की मूल्य तुरंत ही कम हो गया था और उस समय एक डॉलर के लगभग 7 रुपये हो गए थे।

इंदिरा गांधी के अवमूल्यन के फैसले के बाद, भारत के अर्थव्यवस्था में कई समस्याएं उत्पन्न हुईं। इससे भारतीय रुपये का मूल्य और भी घट गया था और विदेशी मुद्राओं के उपयोग में बढ़ोतरी हुई। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को बहुत संकट का सामना करना पड़ा।

इंदिरा गांधी ने अपने अवमूल्यन के फैसले के समर्थन में कहा था कि यह एक आवश्यक कदम है जो भारत के आर्थिक विकास के लिए लिया गया है। उन्होंने भी यह बताया था कि इस से भारत की स्वायत्तता बढ़ेगी और विदेशी मुद्राओं के उपयोग से आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

इंदिरा गांधी के अवमूल्यन के फैसले ने भारत की अर्थव्यवस्था पर लंबे समय तक का असर डाला। यह फैसला भारत की इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसका असर आज तक दिखाई देता है।